Wednesday, May 27, 2009

LAJJA-5---SEXUAL EDUCATION- FEELING OF A CLEAN SHAVEN MAN---- I.E....AFFECTS OF BEING A CLEAN SHAVEN--HIP HIP HI.............

जिस्म पैर बूट व पतलून चढ़ाई मैं ने
बालों को झार के मूछें भी बाधाएं मैं ने

सुन्नत-इ-अहमदी मजाक बने मैं ने
लाया औजार-इ-कत्तिंग शावे बने मैं ने

उम्र बीईस (२२) मैं सिला हेरत-इ-अन्गेज़ आया
गंदुमी रंग का सन्डे-सा-आय उल्फत पाया

होंट दिलकश, कड़ी नाक, नज़रें शनासाई हें
खोपरी बालों से कुदरत ने क्या सजाएं हैं

कहते हैं लोग तुम्हें थोरा सा चुप रहते हो
बोल पारो जिस से टे फिर बोलते ही रहते हो

यह कियों दुआ दूं बिछें फूल तेरी राहों मैं
कटे हयात तेरी अदलिया मैं थानों मैं

यह कियों कहूं तुझे अज्द्वाज्दगी मायर मिले
मेरी दुआ ही तुझे लांगरी का दीदार मिले

कहे फंसा के तुझे अदलिया के दंगल मैं
फंसा हे ऊओंत आज लोमरी के चुंगल मैं

हजम करते रहो यूं दुश्मनी ज़मानें की
हैय क्या प्यारी दुआ उसने दी रुलाएं की

दिल मेरा देख तुम्हें थोरा सुकून पाता है
गर्दिश-इ-खून तुम्हें देख के भर जाता है

हाय क्या प्यारी अदा उसकी थी फुन्स्लएय् की
थोरी चाहत थी थोरी बातें थी जामें की

पके संदेसा-इ-उल्फत थोरा दिल ललचाया
देख लूं मैं भी मेरी जान को दिल मैं आया

ख़त के आखिर मैं पहुंचा तो थोरा घबराया
दिल मेरा जैसे फटा फेफर मुंह को आया

हां-एय वो कटिब-इ-ख़त नाम से मजहर निकला
यारों मेह्बूम मेरा मिस नहीं मिस्टर निकला.

NOTE: THIS IS AN IMAGINATIVE FEELINGS OF A MUSLIM GUY WHO HAS BECOME A CLEAN SHAVEN----- AFFECT OF BEING A CLEAN SHAVEN

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